Who is Bhajanlal Sharma CM Rajasthan: कौन है भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री राजस्थान
भजनलाल शर्मा: स्वर्णिम दिवस
मंगलवार शाम 4:00(11.12.23) बजे भाजपा के विधायक दल की बैठक हुई थी | जहां सर्व सम्मति से पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को विधायक दल का नेता चुना गया जबकि विधायक दिया कुमारी एवं प्रेमचंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने का फैसला हुआ | बैठक के बाद पर्यवेक्षक और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी घोषणा की और बताया कि विधायक दल के नेता के चयन के लिए आयोजित बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भजनलाल शर्मा के नाम का प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया | भजन लाल शर्मा राजस्थान के भरतपुर से आते हैं। 12 दिसंबर 2023 को भाजपा के पर्यवेक्षक दल ने उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री मनोनीत किया ।
भजनलाल शर्मा :एक परिचय
वे राजस्थान विधानसभा के सांगानेर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे राजस्थान के 14 वें मुख्यमंत्री हैं। 15 दिसंबर को वे कार्यभार ग्रहण करेंगे। उन्होंने चार बार भाजपा के राज्य महासचिव के रूप में भी कार्य किया है। भजन लाल शर्मा पहली बार भाजपा के टिकट से लड़े थे। और पहली बार ही विधायक बने थे। पिछली बार उन्होंने निर्दलीय लड़ा था। उन्होंने 2003 में अपने पैतृक जिले भरतपुर की नदबई विधानसभा सीट से सामाजिक न्याय मंच के उम्मीदवार के रूप में निर्दलीय चुनाव लड़ा और हार गए| सामाजिक न्याय मंच का गठन पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी सुरेश मिश्रा (जो हाल ही में कांग्रेस से बीजेपी में लौटे हैं) और करणी सेवा के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी ने किया था, पर वो जीत नहीं पाए थे। भजनलाल शर्मा आरएसएस के कैडर से आते हैं और ब्राह्मण समाज का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। भजनलाल शर्मा के पिता कृष्ण स्वरूप शर्मा है। वर्तमान में भजन लाल शर्मा की उम्र लगभग 56 साल है। भाजपा ने उन्हें टिकट देने के लिए सिटिंग विधायक अशोक लाहौटी का टिकट काटा था। भजनलाल शर्मा ने कांग्रेस के उम्मीदवार पुष्पेंद्र भारद्वाज को 48081 वोटो से हराया था।
भजनलाल शर्मा : जीवन सफर
भजनलाल शर्मा आरएसएस से जुड़े हैं। उन्हें संघ और संगठन दोनों का करीबी माना जाता है। वह भरतपुर जिले के नदबई तहसील के गांव अटारी के रहने वाले हैं। भजनलाल शर्मा भाजपा के प्रदेश महासचिव भी हैं। उनके पास राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री है। आइए अब उन के राजनीतिक यात्रा को समझते हैं। वे भरतपुर के अटारी गांव में जन्मे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अटारी गांव में हुई फिर भजनलाल शर्मा की माध्यमिक शिक्षा हुई नदबई में और वहीं वे एबीवीपी के संपर्क में आए जब वर्ष 1987 में विद्यार्थी परिषद का तीन दिवसीय अभ्यास वर्ग लगा था । भाजपा के साथ राजनीति में भजनलाल शर्मा का प्रवेश 1990 के दशक में हुआ था। उन्होंने जमीनी स्तर से काम करना शुरू किया था और पार्टी के विभिन्न पदों पर रहे। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने जल्दी ही उन्हें पार्टी में अपनी पहचान दिलाई। और पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया।भजनलाल शर्मा 1990 के कश्मीर मार्च में शामिल हुए थे। उधमपुर में लगभग 100 कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तारी दी थी। उन्हें 19- 92 में (भाजयुमो) भारतीय जनता युवा मोर्चा की जिम्मेदारी मिली थ| उस समय। जब सतीश पूनिया 1997 प्रदेश अध्यक्ष थे तब उन्हें नई जिम्मेदारी मिली। भजन लाल शर्मा श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में जेल भी गए है। वर्ष 2000 में 27 वर्ष की उम्र में वे अटारी सरपंच रहे और 2010 से 2015 तक पंचायत समिति सदस्य भी रहे। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी का भरतपुर जिला मंत्री, जिला महामंत्री बनाए गए। वर्ष 2009 से 2014 तक भारतीय जनता पार्टी भरतपुर के जिला अध्यक्ष रहे। इस दौरान भजनलाल शर्मा ने 2014 में प्रदेश उपाध्यक्ष का पदभार सम्भाला और 2016 में प्रदेश महामंत्री का कार्यभार सम्भाला। इस दौरान उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच भी साझा किया। भजनलाल शर्मा को केंद्रीय मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है। कहा ये भी जाता है कि वह गिरिराज जी के भक्त हैं। वे नड्डाजी के करीब भी आये। साथ में रणथम्भौर की सफारी की सवारी भी की थी। यहाँ उन्होंने बाइक साइटिंग भी की थी। भजनलाल शर्मा पिछले 35 वर्ष से राजनीति में सक्रिय हैं। कई बार उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के अगुवाई की वाली टीम में देखा गया है और यह भी माना जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी से उनके पुराने परिचय से हैं|
भजन लाल: भविष्य
भजनलाल शर्मा एक ऐसा व्यक्ति जब उनके नाम का अनाउंस हुआ तब जो पर्ची लेकर के वसुंधरा राजे जा रही थीं तब उनके चेहरे पर नाखुशी समझी जा सकती थी| यह अंदाजा लगाया जा सकता था की वसुंधरा राजे को पता था कि उस चिट के अंदर क्या है और वह इससे बिल्कुल भी खुश नहीं थीं, ना ही वह इसे दिखाना चाहती थी कि वह नाखुश नहीं है| परंतु राजनाथ सिंह को इसीलिए भेजा गया था ताकि वह वसुंधरा राजे को मना सके वसुंधरा राजे का दिल्ली भ्रमण इसलिए हुआ था कि वह अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को दिल्ली में बैठे हाईकमान को अवगत करा सकें कि स्वयं मुख्यमंत्री बनना चाह रही हैं |70 विधायकों का समर्थन, विधायकों का बार-बार उनके घर पर आना-जाना और बैठक होना यह सब उदाहरण थे कि भाजपा की हाई कमान पर कितना ज्यादा प्रेशर था परंतु ऐसा लग रहा है जैसे भाजपा ने इस बार पहले से ही मूड बना रखा था की पुरानी लाइनों से हटकर के नई लीक बनानी होगी और भाजपा ने वही किया | राजनाथ सिंह जैसे कद्दावर नेता को भेज करके वसुंधरा राजे को उन्होंने शांत कराया| मनाना मुश्किल था पर राजनाथ सिंह ने कर दिखाया| पार्टी में कोई बगावत नहीं हुई, कोई टूट नहीं हुई, ऐसा लग रहा है कि सब ठीक है | हालांकि सब ठीक है या नहीं है भविष्य में देखने को मिलेगा| परंतु जिस तरह से भाजपा ने छत्तीसगढ़ में किया, मध्य प्रदेश में किया और अब राजस्थान में किया इसे साफ संकेत मिलता है कि भाजपा का हाईकमान पूरे फुल फॉर्म में है और झुकने को तैयार नहीं है| लोकल नेताओं से दबने को तैयार नहीं है वह एक अपनी एक अलग लाइन तैयार करना चाह रहा है नेताओं की| भविष्य के लिए अलग चेहरे तैयार करना चाह रहा है| कुछ हद तक भाजपा इसमें सफल हो भी रही है परंतु कितनी सफल हो पाएगी यह भविष्य बताएगा | भजनलाल शर्मा भाजपा की एक दाव है| उन्होंने छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज को साधा है, मध्य प्रदेश में ओबीसी को साधा है( हालांकि शिवराज चौहान स्वयं भी ओबीसी से ही थे और मध्य प्रदेश में ओबीसी का वर्चस्व शासन में पहले से माना जा रहा है परंतु वहां यादव समाज से एक मुख्यमंत्री बनाना उसका इंपैक्ट न सिर्फ मध्य प्रदेश पर है बल्कि उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति पर भी होने वाला है) अब राजस्थान में एक ब्राह्मण समाज से मुख्यमंत्री बना करके भाजपा ने सिक्सर मारा है | दूसरे समाज को साधने के लिए हर राज्य में डिप्टी सीएम बनाए गए हैं, एक नहीं दो दो| यह सब कुछ समाज को साधने का एक राजनीतिक जुगाड़ है|
निष्कर्ष
भजनलाल शर्मा भाजपा के लिए भविष्य की एक चाबी हैं | यह चाबी कितने तालों को खोल पाती है यह सब कुछ भविष्य में है, परंतु इतना तो तय है एक युवा मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा ने जो दाव चला है, एक ब्राह्मण मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा ने जो दाव चलाया इसके अपने कुछ मतलब तो है | भजनलाल शर्मा के हाथ में ताकत दे दी गई है, पावर दे दी गई है |अब यह उन्हें तय करना होगा उस ताकत से वह खुद को कितना मजबूत करते हैं, पार्टी को कितना मजबूत करते हैं क्योंकि भाजपा समय-समय पर चेहरे को बदलता भी रही है| गुजरात में मुख्यमंत्री चेहरे को बदलना इसका उदाहरण है, उत्तराखंड में चेहरा बदलना है इसका उदाहरण है| भाजपा चेहरा बदलने में संकोच नहीं करती| वह उस व्यक्ति को आगे बढ़ती है जिससे पार्टी का हित हो| अब देखना होगा कि भजन लाल शर्मा राजस्थान के लिए और भाजपा के लिए कितने हितकर होते हैं |
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