13 december terrorist attack on parliament rewritten? 13 दिसम्बर को संसद भवन पर आतंकी हमला था?
13 दिसम्बर 2001 की आतंकी हमले कि यादें ताजा: हुआ क्या!
13 दिसंबर को पार्लियामेंट हमले के ठीक 22 साल के बाद एक बार फिर संसद की सुरक्षा मे सेंध लगी, पार्लियामेंट की नई बिल्डिंग में। लोकसभा की विजिटर्स गैलरी से दो शख्स सदन में कूद गए। पीले रंग का कलर्स छोड़ा । नारे लगाएं। हाल में अफरा तफरी मच गयी । सांसदों ने दोनों को पकड़ लिया। जमकर पिटाई की और फिर सुरक्षाकर्मियों के हवाले कर दिया । लोकसभा में स्मोक केन चलाये गए। ठीक उसी वक्त संसद भवन के बाहर दो और लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी । उन्होंने भी कलर स्मोक छोड़ा। उन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया गया । इनमें एक महिला है। चारों अलग अलग राज्यों के हैं। महिला हरियाणा के हिसार की है। लड़का कर्नाटक के मैसूर का है, दूसरा महाराष्ट्र में लातूर का है, तीसरा यूपी के लखनऊ शहर का है। चारों के प्रोफेशनल अलग अलग है। 4 साल से एक दूसरे के संपर्क में हैं। ये चारों सोशल मीडिया के जरिये एक दूसरे से जुड़े थे। कुछ बड़ा करने की प्लानिंग करके दिल्ली पहुँचे थे। अभी दो और को पकड़ा गया है ।
कथित 13 दिसंबर का आतंकी हमला हुआ कैसे?
13 दिसम्बर को दोपहर 1:00 बजे लोकसभा में जैसे ही जीरो आवर शुरू हुआ। उस वक्त स्पीकर की कुर्सी पर बीजेपी सांसद राजेन्द्र अग्रवाल बैठे थे | उन्होंने मालदा नॉर्थ से बीजेपी के सांसद खगेन मुर्मू को अपनी बात रखने को कहा । अभी उन्होंने बोलना शुरू ही किया था की विज़िटर गैलरी से एक लड़का गिरा । पहले वह रेलिंग से लटका और फिर उसने सदन में नीचे छलांग लगा दी। लोगों को लगा शायद कोई विज़िटर गैलरी से गिर गया है। इसलिए खगेन मुर्मू ने अपनी स्पीच जारी रखी । लेकिन कुछ ही सेकंड बाद ये लड़का सांसदों की बेंचेज के ऊपर कूद कर आगे की तरह बढ़ने लगा। लोग कुछ समझ पाते इससे पहले कि एक और लड़का विज़िटर गैलरी से कूदा। दोनों ने नारेबाजी शुरू कर दी। सुरक्षाकर्मी उनकी तरफ लपके। उनको घेरने की कोशिश करने लगे। उसी समय कुछ एमपी उनकी तरफ बढ़े। अध्यक्ष ने हाउस की कार्रवाई 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इसी दौरान राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के एक सांसद ने एक युवक को पकड़ लिया। बीएसपी के नागर ने भी बैंच पर कूद रहे दूसरे युवक को पकड़ा। पकड़े जाने से ठीक पहले दोनों लड़कों ने अपने जूतों में छुपाया गया कैनिस्टर निकाला और उसको खोल कर फेंक दिया । गैस फैलने लगा | रंगीला गैस | पहले आशंका हुई कहीं ये जहरीला हो तो । इसलिए ज्यादातर सांसद हाउस से बाहर की तरफ भागे । लेकिन कुछ सांसदों ने लड़कों को पीटना शुरू कर दिया । फिर लोकसभा में कूदे दोनों लड़कों को सांसदों ने पुलिस के हवाले कर दिया ।यह तो अंदर की बात थी, ठीक उसी वक्त बिल्डिंग के बाहर, संसद के परिसर में, उनके दो साथियों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया । एक महिला और एक लड़के ने नारेबाजी। और उसी तरह का कलर्स को छोड़ा जिस तरह का लोकसभा में छोड़ा था । हालांकि दोनों को भी पुलिस ने तुरंत काबू कर लिया। दोनों को पकड़कर संसद थाने ले जाया गया। आइए इस घटना के सभी छह किरदारों को समझे |
मनोरंजन गौड़ा : पहला किरदार
मनोरंजन गौड़ा ने ही विजिटर्स गैलरी के पास का इंतजाम किया। मनोरंजन गौड़ा कर्नाटक के मैसूर का रहने वाला है। पढ़ा लिखा है, कंप्यूटर इंजीनियर है। उसने 2015 तक तीन कंपनियों में नौकरी की। फिलहाल बेरोजगार है। मनोरंजन के पिता मैसूर से बीजेपी के सांसद प्रताप सिम्हा को जानते हैं । उसका घर प्रताप के ऑफिस के पास में है। इसलिए वो प्रताप के पास संसद की कार्यवाही देखने के रिक्वेस्ट लेकर पहुचा था |वह मनोरंजन के पिता को जानते थे । सांसद प्रताप ने अपना ब्यान दर्ज करा दिया है | मनोरंजन के पिता ने कहा उनका बेटा सीधा साधा लड़का है। उसने काम तो गलत किया है, पर क्यों किया, किसके बहकावे में आकर किया, इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। भगत सिंह की बातें किया करता था | जाहिर है कि य़ह सालों की प्लानिंग का हिस्सा था |ऐसा लगता है कि बहुत ही शातिर तरीके से हर किरदार को अपना अपना काम अंजाम देना था |आई टी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद मनोरंजन ने कुछ दिन नौकरी करने के बाद काम छोड़ दिया। वो अपने माता पिता से खर्च के पैसे लेता था। वह अक्सर किसी काम का बहाना करके मैसूर से बेंगलुरु आता था। बेंगलुरु में ही उसकी मुलाकात सागर शर्मा से होती थी। पहले भी कई बार दिल्ली आ चुका था और इस बार जब वह घर से निकला तो ये कह कर चला की वो बेंगलुरु जा रहा है| उसने बेंगलुरु जाने के लिए घरवालों से ₹3000 लिए। फ्लाइट से दिल्ली आया। बेंगलुरु से फ्लाइट का टिकट ₹7000 का है। इन्टेलिजेन्स की रिपोर्ट के मुताबिक गौड़ा कई बार विदेश भी जा चुका है| उससे कंबोडिया, सिंगापुर और थाईलैंड की यात्रा की। अब सवाल ये है की उसको इन फॉरेन विजिटि के पैसे किसने दिए? इससे जो शक है कि आरोपियों को विदेशों से फंड मिल रहा था। इस बीच मैसूर में मनोरंजन के कमरे को सील कर दिया गया है |
सागर शर्मा : दूसरा किरदार
अंदर कूदनेवाला दूसरा शख्स सागर शर्मा था। सागर शर्मा लखनऊ का रहने वाला है। वो ई रिक्शा चलाता है और उसके पिता कारपेंटर हैं । सागर शर्मा पहले बैंगलोर में काम करता था लेकिन कुछ महीने पहले वापस लखनऊ आ गया। ई रिक्शा चलाना शुरू किया। जैसे ही सागर शर्मा को दिल्ली में हिरासत में लिया गया, उसके कुछ ही मिनट बाद यूपी पुलिस उसके घर पहुँच गयी । परिवार वालों से पूछ्ताछ हुआ । सागर के घरवालों ने बताया कि वो कल ये कहकर घर से निकला था की प्रोटेस्ट में शामिल होने दिल्ली जा रहा है । लेकिन यह पता नहीं था की वो प्रदर्शन कहा करने वाला है कैसे करने वाला है। वह 12 वीं तक पढ़ा है। फिलहाल ई रिक्शा चलाता था, लेकिन इससे पहले बेंगलुरु के फ्लोर मिल में मजदूरी करता था। पुलिस को जांच में पता लगा कि सागर बेंगलुरु से फ्लाइट लेकर लखनऊ आता था। अब पुलिस यह जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रही है कि सागर शर्मा को फ्लैट का खर्चा कौन देता था? इस बीच लखनऊ में सागर शर्मा के घर से उसकी डायरी मिली। अपने डायरी के पन्नों में बड़ी बड़ी बातें लिखी हैं। एक जगह उसमे लिखा है की घर से विदा लेने का वक्त आ गया है। एक तरफ डर भी है, दूसरी तरफ सब कुछ कर गुज़रने की आग भी है। सागर शर्मा ने आगे लिखा कि मैंने 5 साल इंतजार किया है और एक दिन ऐसा आएगा जब मैं अपने कर्तव्य की तरफ आगे बढूंगा। सागर शर्मा भगत सिंह फैन क्लब से भी जुड़ा था हालांकि सागर की माँ ने कहा उनका बेटा बहुत सीधा सादा है वो भगत सिंह को अपना भगवान मानता था |
नीलम आजाद : तीसरी किरदार
संसद भवन के परिसर में नारेबाजी करने वाली महिला का नाम नीलम है। वो हरियाणा के हिसार में रहती है। उसने अमोल के साथ संसद परिसर के बाहर नारेबाजी की थी व गैस छोड़ा था, बाद में उसे पुलिस पकड़ कर ले गई| हालांकि उस दौरान भी वह नारेबाजी करती रही थी| यह सारा कैंपेन मोदी के खिलाफ चल रहा था| नीलम हरियाणा में जींद की रहने वाली है। सामान्य किसान परिवार से है | हिसार के पीजी हॉस्टल में रहती है। पढ़ी लिखी हैं| बी ए, एमबीए, एमए की डिग्री उसके पास है | हाइली क्वालिफाइड हैं। किसान आंदोलन के वक्त काफी एक्टिव थी। भीम आर्मी की फॉलोअर हैं। जिस वक्त लोकसभा में दो लड़के कूदे उसी वक्त नीलम और उसके साथी ने संसद के बाहर कलर स्मोक छोड़ा, नारे लगाए |नीलम ने कहा कि वो सरकार के खिलाफ़ गुस्से को प्रगट करना चाहती है। वो किसी संगठन से नहीं जुड़ी है, सिर्फ अपनी आवाज पार्लियामेंट तक पहुंचाना चाहती थी। परिवार सदमे में है। हंगामे के कुछ ही देर बाद रिपोर्टर्स पहुंचे। नीलम की माँ सरस्वती देवी ने कहा कि उनकी बेटी धरने में जाती थी। किसान आंदोलन में गयी। घर में वो कई बार इस बात का जिक्र कर चुकी थी कि उसने इतनी पढ़ाई की है, लेकिन नौकरी नहीं मिल रही। इसलिए वो फ्रस्ट्रेटेड थी। लेकिन ऐसी हरकत करेंगी इसकी उम्मीद उन्हें कतई नहीं थी। नीलम के पिता हलवाई हैं |उसके दो भाई है, दोनों काम करते हैं। नीलम के भाई ने बताया कि वो धरने प्रदर्शन में शामिल होती थी। राजनीति में उसका इंट्रेस्ट था, लेकिन इस तरह का काम करेगी इसका उन्हें ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था । नीलम भीम आर्मी की फॉलोअर हैं। इसीलिए उसने अपने नाम के आगे आजाद टाइटल लगाया। उससे किसान आंदोलन के दौरान ऐक्टिव रोल प्ले किया। उस वक्त के वीडियो शेयर किया है । इसके बाद उसने हरियाणा के विधानसभा चुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल के लिए प्रचार किया था। वो अपनी विडियोज में लोगों से अपील करते हुए सुनाई देती है की वैसे तो को वोट इन्हें देना चाहिए, लेकिन अगर बीजेपी को हराने के लिए जरूरत पड़े तो कांग्रेस को भी वोट देना चाहिए।
अमोल शिंदे : चौथा किरदार
अमोल शिंदे महाराष्ट्र, लातूर का रहने वाला है। संसद के बाहर की सेक्युरिटी दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी है। दिल्ली पुलिस ने परिसर के बाहर हंगामा करने वाले अमोल और नीलम को डिटेन कर लिया। दोनों को पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन ले जाया गया। संसद के बाहर की सेक्युरिटी दिल्ली पुलिस देखती है। पुलिस के जवानों ने अमोल को पकड़ा और पूछ्ताछ के लिए ले जाया गया।वह पुलिस में भर्ती होना चाहता था। एक बार फिजिकल टेस्ट में पास हुआ लेकिन रिटन एग्जाम में फेल हो गया। अमोल के घर भी पुलिस पहुँच गई है। पिता साधारण किसान हैं। उन्होंने कहा कि अमोल ने क्या किया इसकी जानकारी उन्हें नहीं है, लेकिन उनका बेटा सीधा साधा है। कभी किसी तरह की गलत एक्टिविटीज में शामिल नहीं रहा है |
ललित झा: पांचवा किरदार
ये बिहार का रहने वाला है। ललित रात करीब 10:30 बजे दिल्ली थाने पहुंचा। पुलिस वालो को उसने बताया की वो भी पार्लियामेंट हाउस में घुसना चाहता था| वो भी प्लानिंग का हिस्सा था | इस पूरी घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग की जिम्मेदारी ललित झा की थी। वारदात को अंजाम देने के बाद कहा जाना है, कहाँ छुपना है, इसका प्लान भी ललित ने ही तैयार किया था। ललित को पूरी घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कराकर राजस्थान में जाकर छुप गया था। 32 साल का ललित मूल रूप से बिहार के दरभंगा का रहने वाला है। लेकिन वो फिलहाल अपने परिवार के साथ 24 परगना मे किराये से रह रहा था। ललित के परिवार में उसके माता पिता के अलावा उसका छोटा भाई है। ललित झा कोलकाता के साम्यावादी सुभाष सभा नाम के एनजीओ संगठन से जुड़ा हुआ है। ललित झा के पड़ोसियों ने बताया की यहां आने से पहले वो कोलकाता के बड़ाबाजार इलाके में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था। उनके मुताबिक वह बहुत शांत मिजाज का था और दूसरे लोगों से ज्यादा बातचीत नहीं करता था।अब पुलिस दरभंगा में ललित के घर पहुंची। ललित के माता पिता घर में मिले। बेटे की गिरफ्तारी की खबर सुनकर ललित के माता पिता सदमे में हैं। उन्होंने कहा, ललित तो गरीब बच्चों को पढ़ाता है। वो तो समाज सेवा करता है, किसी देश विरोधी काम में शामिल कैसे हो गया है| आप अंदाजा लगा सकते हैं की ऐसे माता पिता पर अपने बेटे के कारनामे से क्या गुजर रही होगी। ललित इन सब का मास्टर माइंड लगता है। क्योंकि जब चार लोगों ने संसद में हंगामा किया। पार्लमेंट की सुरक्षा में सेंध लगाई तब वह पार्लियामेंट में मौजूद था। जब दिल अब और। साथी जब कलर स्मोक छोड़ रहे थे, नारे लगा रहे थे, पुलिस उन्हें हिरासत में ले रही थी, तब ललित दूर खड़े होकर वीडियो बना रहा था। और जैसे ही उसने देखा कि पुलिस नीलम और अमोल को ले गई, वह वहाँ से भाग गया और उसने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से ये सारे वीडिओज़ अपलोड करे। नीलम, अमोल ,मनोरंजन और सागर, सबके फ़ोन अपने पास रखे हुए था । सबके आइ कार्ड भी उसके पास थे । ललित जहां कह रहा है कि उसने सभी फोन जला दिए हैं नष्ट कर दिए हैं संभव है कि वह पुलिस को गुमराह कर रहा है| अगर पुलिस उन फोन को खोज निकलती है तो एक बहुत बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हो सकता है|
महेश : छठा किरदार
ललित ने महेश को नागौर में ठहरने का इंतजाम करने की जिम्मेदारी दी थी । प्लान में सिर्फ एक गड़बड़ी हुई। महेश दिल्ली नहीं पहुँच पाया। लेकिन इससे फर्क नहीं पड़ा क्योंकि प्लान A सफल हो गया। पहले चारों आरोपी गिरफ्तार हो गए | महेश ने नागौर मे अपनी आइडी से कमरा बुक कराया और ललित उस होटल पे रहा । कमरे का इंतजाम कराने में महेश का मौसेरा भाई कैलाश उसकी हेल्प कर रहा था। ये दोनों संसद पर हमले के बाद, ललित, महेश और कैलाश लगातार टीवी चैनल से घटना के बाद का अपडेट लेते रहे। हालात पर ये लगातार नजर बनाए हुए थे। नागौर पहुँचकर सबसे पहले ललित, महेश और कैलाश की मदद से पकड़े गए चारों आरोपियों के मोबाइल फ़ोन को ठिकाने लगाया। इसके बाद ये तीनों दिल्ली लौट आए और खुद ही थाने गए जहाँ पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
विक्की शर्मा : सातवां किरदार
छठे शख्स का नाम विक्की शर्मा। ये हरियाणा के गुरुग्राम का रहने वाला है। सभी लोग विक्की शर्मा के घर में रुके थे। जो जानकारी सामने आई उससे लगता है कि सब कुछ पूरी प्लानिंग के साथ हुआ।
निष्कर्ष
लोकसभा के विजिटर्स गैलरी से जो लड़के सदस्य कूदे थे, उनके पास से बीजेपी के प्रताप का रेफरेन्स था | ये गहरी और बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता है । सरकार को बदनाम करने के लिए पूरी प्लानिंग के साथ किया गया काम है । 13 दिसंबर का दिन चुना गया। जिसदिन 22 साल पहले पर्लियामेंट पर लश्कर ए ताइबा का हमला हुआ था। पकड़े गए चारों लोग एक दूसरे को 4 साल से जानते थे। संपर्क में थे। उन्हें भेजने वालों ने नई पार्लियामेंट की सिक्युरिटी पास थे । बीजेपी सांसद ने ही उनके विज़िटर गैलरी के पास बनाने के रिकमेन्डेशन दी थी। इसलिए इस मामले में सभी पार्टी के सांसदों ने सदन से बाहर आकर चिंता ज़ाहिर की और कुछ लोगों ने बीजेपी के प्रताप पर हमला भी किया। उपद्रवियों ने यहां के सिस्टम को स्टडी किया था। यह पता था कि जूतों की चेकिंग नहीं होती है । इसलिए कलर के केन जूतों में छुपाकर लाए गए। तैयारी पूरी की गई थी। प्लानिंग में कोई कमी नहीं थी । पास भी बीजेपी के सांसद से बनवाई गई। नई पार्लमेंट को निशाना बनाया गया। विजिटर्स गैलरी में पहुंचने के लिए सिक्योरिटी के तीन तीन लेयर से गुजरना पड़ता है। यहां कोई पेन और मोबाइल तक नहीं ले जा सकता। वहाँ दो दो शख्स गैस के केन लेकर कैसे पहुँच गए? ये खतरा बहुत बड़ा हो सकता था। केमिकल वेपन का जमाना है। इन लोगों के पास केन में जहरीली गैस हो सकती थी। इस घटना से देश के दुश्मनों का हौसला बढ़ेगा। इसलिए इस साजिश के तहत तक पहुंचना जरूरी है। ये चार छह लोगों के पीछे कौन है? किसने प्लानिंग की? किसने फाइनैंस किया, इस पूरी साजिश का पता लगाना जरूरी है वरना संभव है कि भविष्य में 2001 के आतंकी घटना की पुनरावृत्ति कहीं फिर ना हो जाए|
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