अयोध्या राम मंदिर : रामलला के दिव्य आभूषणों के बारे में जानें

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अयोध्या राम मंदिर : रामलला के दिव्य आभूषणों के बारे में जानें | आज हम रामलला के दिव्या आभूषणों के बारे में सब कुछ जानते हैं जिसके कारण रामलला के दिव्य मूर्ति सजीव प्रतीत होती है| 22 जनवरी 2024 को भक्तों के सामने अलौकिक सौंदर्य की प्रतिमूर्ति में भक्तों को भगवान के साक्षात दर्शन की अनुभूति हो रही थी| कैसे दिखा था रामलला का इतना सुंदर स्वरूप, आपको बताते हैं इनके साज सज्जा के बारे मे :

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रामलला की मूर्ति 5 साल के राम के रूप की है जिसकी ऊंचाई 51 इंच की है | मूर्ति की लंबाई 51 इंच इसलिए रखी गई ताकि हर रामनवमी के दिन दोपहर के वक्त सूर्य की किरणें रामलला के माथे पर पड़े| यानी हर रामनवमी के दिन रामलला के माथे पर सूरज का तेज होगा| गर्भ ग्रह में स्थापित की गई मूर्ति कमल के फूल के ऊपर स्थापित की गई है | कमल के फूल के साथ मूर्ति की लंबाई 8 फिट है| राम प्रतिमा का वजन 200 किलोग्राम है | इस खास वजह से 51 इंच की बनाई गई है रामलला की मूर्ति | 

भक्तों को भगवान से मिलाने वाले कलाकार ने 5 वर्ष के रामलला की मनोहारी प्रतिमा के श्रृंगार में सिर पर मुकर से लेकर कुल 14 आभूषण बनाए गए हैं | भगवान रामलला के आभूषण बनाने में कम से कम 15 किलो सोना और 18000 हीरे और पन्ने का उपयोग किया गया है | सिर पर विराजमान मुकुट की शोभा अद्भुत है | इसमे 1 किलो 700 ग्राम सोना, 75 कैरेट का हीरा, 175 कैरेट का पन्ना तथा 262 कैरेट के बराबर नीलम और माणिक्य की आभा चमक रही है| मुकुट की सज्जा पर दृष्टि डालें तो मध्य में सूर्यवंश का प्रतीक चिन्ह और साथ में राजसत्ता का प्रतीक मयूर दिखता है| बीच में लगा पन्ना  बुद्धिमत्ता तो माणिक्य शौर्य का प्रतीक है | सदियों पुराने हीरे पवित्रता के प्रतीक है | हीरे का उपयोग अटूट शक्ति और शाश्वत गुणों का प्रतीक भी है |स्वर्ण वैभव का प्रतीक है | 

मुकुट में बनाए गए मत्स्य व मयूर उत्तर प्रदेश के शासकीय चिन्ह भी है | आभूषण हरसहायमल श्यामल ज्वेलर्स लखनऊ और बरेली की ओर से बनाए गए हैं | यह ब्रांड 130 साल पुराना है |ये सभी आभूषण मात्र 12 दिनों मे बना लिए गए थे | जनवरी शुरू में जब प्रधानमंत्री मोदी जी ने अंतिम मूर्ति को फाइनलाइज किया तब आभूषणों के क्यूरेटर को बुलाया गया और मात्र 12 दिनों के कम समय में रामलला के सभी आभूषण तैयार कर लिए गए|

भगवान रामलला के गले में सबसे बड़ी माला विजयमाला हार है जिसका वजन  2 किलो है, जो 22 कैरेट सोने से बना है |इसमें पंच पवित्र पुष्प कमल, कुंद, पारिजात, चंपा और तुलसी के अलावा शंख चक्र के दर्शन  है| यह हार प्रभु राम के चरणों को छूता है | 

गले का एक छोटा हार करीब 500 ग्राम का सोने का है जिसमें लगभग 40 कैरेट हीरा, 150 कैरेट माणिक्य और लगभग 380 कैरेट पन्ना जड़ा है | इस हार के मध्य में पन्ना, माणिक्य और सूर्यवंश का चित्र बनाया गया है | 

रामलला के गल में एक और सुंदर हार पांच लडियों वाला है जिसे पंचलड़ा भी कहा गया | यह करीब 600 ग्राम वजन वाला हार है | इसमे 60 कैरेट हीरों के अलावा 550  कैरेट पन्ना लगा  है | यह पांच लडियां पांच तत्वों को दर्शाती है | पांच धागों में से प्रत्येक पांच तत्व का प्रतीक है जो भगवान राम के दिव्य गुणों को प्रकृति के तत्वों के साथ संबंध को बतलाता है|

रामलला के कमर का श्रृंगार करने के लिए 750 ग्राम सोने का कमरधन  है | इसमे 70 केरट हीरा जड़ा है और करीब 850 कैरेट माणिक्य  और पन्ना जड़ा है| यह कमरबंद चक्रवर्ती सम्राट दशरथ के पुत्र के राजकुंवर होने का प्रतीक है | 

तिलक का वजन 16 ग्राम है इसके बीच में 3 कैरेट का एक गोल चमकदार हीरा है जो लगभग 10 कैरेट वजन वाले छोटे हीरो से घिरा हुआ है| तिलक को इस प्रकार तैयार किया गया था कि प्रत्येक रामनवमी पर सूर्य की किरण बीच में लगे हीरे पर पड़े तो यह झिलमिला उठे|

 

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