अयोध्या राम मंदिर | जन्मभूमि का पुनर्जन्म

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अयोध्या राम मंदिर | जन्मभूमि का पुनर्जन्म होने जा रहा है | कुछ ही दिनों के बाद रामजन्मभूमि वापस गौरवांवित होने जा रहा है | राम जी की पहली झलक देखे 

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अयोध्या, भारतीय सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और यहां स्थित राम मंदिर एक विशेष धार्मिक स्थल है। या यों कहें कि फिर से होने जा रहा है | दरअसल अयोध्या का इतिहास भारत गौरव का है, पर इसी जगह ने बहुत दर्द सहा है | मुस्लिम काल मे देश के कई मंदिर टूटे, कई लुटे गए | अयोध्या का राम जन्मभूमि मंदिर भी इसी बर्बरता का उदाहरण बना | परंतु ऐसा लगता है कि समय अपनी गलती को सुधार रहा है |

 

अयोध्या राम मंदिर कहा है

अयोध्या में स्थित राम मंदिर विश्व के प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थानों में से एक है। यह मंदिर उतर प्रदेश के अयोध्या जिला के अयोध्या शहर मे स्थित है |अयोध्या जिला को पहले फैजाबाद जिला कहा जाता था पर योगी सरकार ने जिले का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया | अयोध्या लखनऊ से लगभग 141 किलोमीटर दूर है| लगभग ढाई घंटे का सफर कार से लग जाता है | लखनऊ से जब हम गोरखपुर के रास्ते में आगे बढ़ेंगे तो बीच में अयोध्या शहर पड़ता है | अगर हम पूर्वांचल एक्सप्रेस हाईवे से लखनऊ से अयोध्या का सफर तय करते हैं तो यह करीब 192 किलोमीटर का सफर होता है और लगभग 3:30 घंटे का सफर हमें कार से करना पड़ता है| ट्रेन के द्वारा हम अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं | साथ ही 6 जनवरी 2024 से हवाई जहाज से भी यह शहर कई बड़े शहरों से जुड़ गया है| महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट अयोध्या धाम का उद्घाटन भी इसी साल माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने किया है|

 

राम जन्म भूमि 

राम मंदिर का स्थान अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि पर है, जो एक पवित्र स्थल है, जिसे हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है। राम मंदिर का संचालन राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास द्वारा किया जाता है| इसका गठन कोर्ट के आदेश पर हुआ है |अभी इनके महासचिव चंपत राय हैं | यह न्यास ही मंदिर के निर्माण कार्य, 22 जनवरी को मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को संभाल रहा है| 

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अयोध्या राम मंदिर का इतिहास

राम मंदिर का इतिहास विशेष रूप से रामायण महाकाव्य से जुड़ा हुआ है और इसे सनातन धर्म की एक महत्वपूर्ण धारा माना जाता है। यहां का मंदिर काफी पुराना है| कई सदी पुराना मंदिर|  परंतु मुगल काल के भारत के आगमन पर मंदिरों की बेकद्री शुरू हो गई अंतिम मुगल शासक औरंगजेब के समय में बेइंतहा मंदिर तोड़े गए| राम जन्म भूमि मंदिर भी उन्हें मंदिरों में से एक मंदिर था | 1528 में इस मंदिर को तोड़ा गया | कहा जाता है कि इस मंदिर को बचाने के लिए बहुत से हिंदुस्तानियों ने कुर्बानी दी पर वे औरंगजेब की सेना से नहीं जीत सके| आसपास के कुछ गांव के बारे में बोला जाता है तो वहां के लोग पिछले पांच सदियों से उन वचनों का पालन कर रहे हैं जो उनके पूर्वजों में मंदिर टूटने के समय प्राण लिए थे | आज भी वे गाव वाले नंगे पैर चलते हैं, धूप या बारिश में छतरी का धारण नहीं करते| सिर्फ अपने पूर्वजों के उसे प्रण को याद रखते हुए जब तक वापस मंदिर नहीं बन जाता वे यूं ही कष्ट  सहेंगे |

औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर उसे मस्जिद में तब्दील कर दिया था | हालांकि इस मस्जिद में बहुत सारे हिंदू मान्यताओं के चित्र या अभिलेख दिखे जा सकते थे| आम मस्जिदों की तरह यहां नमाज भी पूर्ण कालिक नहीं होता था | अंग्रेजों के समय में हिंदूवादी संगठनों ने इस मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद का विरोध करना शुरू किया| 1853 में हिंदुओं और मुसलमानों  में इस मस्जिद को लेकर विवाद शुरू हो गया| अंग्रेजों ने तब बीच का रास्ता निकाला बाहर के हिस्से में हिंदुओं को पूजा करने की जय दी गई | 1949 में मस्जिद के अंदर मूर्ति रखी मिली |विवाद  गहराता देख सरकार ने मस्जिद में ताला लगवा दिया | फिर इस ताले को राजीव गांधी सरकार ने खुलवाया|  मामला कोर्ट तक भी गया| फिर सरकार भी इसमें शामिल हुईं | परंतु कोई निश्चित फैसला नहीं आ पाया| 

फिर कुछ संगठनों ने कार सेवा योजना चलाई जिन्हें कार सेवक कहा गया | 1992 के 6 दिसंबर को इन्हीं कार सेवकों की भीड़ ने उसे मस्जिद को तोड़ दिया और वहां भगवान रामलला की एक मूर्ति स्थापित कर दी | तब केंद्र में नरसिम्हा राव की सरकार थी और उत्तर प्रदेश राज्य में मुलायम सिंह की सरकार थी | कहा जाता है कि उस समय पुलिस की गोली से कई लोग मारे गए थे| परंतु इस घटना ने भारत के राजनीति के दिशा को ही बदल दिया| यह बाबरी मस्जिद जो मुगल काल के बेइंतहा शोषण व जुर्म की एक निशानी बना हुआ था, कार सेवकों के द्वारा मिट्टी में मिला दिया गया| 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में इस मंदिर को तीन हिस्सों में बांट दिया था दो हिस्सा हिंदू पक्ष के पास मंदिर के लिए और एक हिस्सा मुस्लिम पक्ष के पास नमाज के लिए| तब भी फैसला हिंदू मलकियत के पक्ष में ही था| मामला फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने फिर से 2019 में हिंदू पक्ष के दलील को है रजामंद किया और तब से बहुत तेजी से राम मंदिर बनने का कार्य प्रारंभ हुआ|

सन 2020 मे राम जन्मभूमि का शिलान्यास हुआ था |राम मंदिर बनाने के लिए देश भर के कोने-कोने से अलग-अलग सामग्रियां मंगाई गई है | दिन-रात मजदूर काम कर रहे हैं| आप देश के सभी प्रतिष्ठित व सम्माननीय लोगों को प्राण प्रतिष्ठा के दिन बुलाया जा रहा है| प्रधानमंत्री मोदी जी के हाथों इसका शुभारंभ होगा| अयोध्या जो कभी दंगे फसाद के लिए जाना जाता था आज वह अपने पुराने धरोहर को फिर से पा रहा है और फिर से अपने गौरव में गौरवमयी इतिहास का जीवंत प्रतिबिंब बनता जा रहा है| शहर की व्यवस्था चाक चौबंद हो गई है | अयोध्या शहर अब दुल्हन की तरह सज चुका है अपने राम के इंतजार में|

 

अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन तिथि – 22 जनवरी

राम मंदिर का अनावरण 22 जनवरी को होगा , जो एक नए युग की शुरुआत का संदेश देता है। पूरे देश मे हर्ष का माहौल है | राम जी के आगमन को लेकर देश की सभी बड़ी हस्तियों को आमंत्रित किया गया है | प्रधानमंत्री मोदीजी के हाथों मंदिर का अनावरण होना है | यह दिन राम जी की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा का दिन है| कहा यह जा रहा है की 22 जनवरी को मात्रा कुछ सेकंड के शुभ मुहूर्त में ही प्राण प्रतिष्ठा का कार्य किया जाएगा| 

 

अयोध्या राम मंदिर प्रसाद

 राम मंदिर में प्रसाद की सुविधा है, और यह भक्तों को एक अनोखा आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।

अगर आप अयोध्‍या के प्राण प्रतिष्‍ठा समारोह का प्रसाद ग्रहण करना चाहते हैं, तो ऐसा भी संभव है। क्योंकि एक प्राइवेट कंपनी ने वेबसाइट के जरिए होम घर -घर प्रसाद पहुंचाने का दावा किया है। इस वेबसाइट का नाम खादी ऑर्गेनिक है। यह सॉफ्टवेयर कंपनी राम मंदिर से आए प्रसाद की डिलीवरी घर-घर करेगी। अगर आप भी घर बैठे राम मंदिर का प्रसाद पाना चाहते हैं, तो जान लीजिए पूरी प्रोसेस:

  • सबसे पहले khadiorganic.com वेबसाइट पर जाएं।
  • स्‍क्रीन पर दिख रहे ऑनलाइन प्रसाद पर क्लिक करें।
  • डोर स्‍टेप डिलीवरी पाने के लिए Delivery ऑप्‍शन पर क्लिक करें।
  • अगर आप डिस्‍ट्रीब्‍यूशन सेंटर से प्रसाद पाना चाहते हैं तो pick up from your distribution centre पर क्लिक करें।
  • इसके बाद अपना नाम,पता , फोन और कोड नंबर जैसी चीजों की जानकारी दें।
  • आखिरी में आपको डिलीवरी चार्ज पे करना होगा। ऑर्डर को ट्रैक करने की सुविधा फिलहाल नहीं है। लेकिन 22 जनवरी के बाद लोग अपने ऑर्डर को ट्रैक कर सकते हैं।

 

अयोध्या राम मंदिर निर्माण

 मंदिर का निर्माण पूरा होने को है , और इसका आकार और भव्यता धार्मिक और स्थापत्यकला में एक उत्कृष्ट उदाहरण होगा। राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत के लिए भूमिपूजन 5 अगस्त 2020 को किया गया था। वर्तमान में निर्माणाधीन मंदिर की देखरेख श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा की जा रही है। मंदिर बनाने का आदेश न्यायालय ने दिया था | मंदिर के निर्माण का कार्य 9 नवंबर 2019 को ही शुरू हो गया था जब कोर्ट ने इस जगह पर मंदिर बनाने का आदेश दिया था | हालांकि सर्व विदित है कि कोर्ट के आदेश से पहले से ही मंदिर बनाने के लिए सारी सामग्रियां एकत्रित हो रहीं थीं | 

 

अयोध्या राम मंदिर कब पूरा होगा

मंदिर के निर्माण के समापन की तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि इसका समापन जल्द ही होगा। हालांकि मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को तय हो गया है | 

 

अयोध्या राम मंदिर मूर्ति की ऊंचाई

मंदिर की मूर्ति की उचाई भक्तों को राम के प्रति उनकी भक्ति और श्रद्धा का अनुमोदन करने का एक अनोखा तरीका होगा। मंदिर लगभग 161 फीट ऊंचा है|  2.7 एकड़ में मंदिर का मुख्य परिसर है तथा कल 70 एकड़ में यह प्रांगण फैला हुआ है|

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अयोध्या राम मंदिर ऑनलाइन दान

मंदिर में ऑनलाइन दान करने का एक प्रतीकात्मक तरीका है, जिससे भक्त अपनी आस्था का समर्थन दे सकते हैं। यूपीआई के माध्यम से आप श्री राम जन्मभूमि के रख रखाव वाले ट्रस्ट यानी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन दान दे सकते हैं| मोड यूपीआई ही होगा| किसी भी तरह के फर्जीवाले से बचे |बहुत से ठग इस ऑनलाइन दान के ठगी में संलिप्त हो चुके हैं|

राम मंदिर अयोध्या, एक ऐतिहासिक और धार्मिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो भक्तों को आत्मा की शांति और समृद्धि की ओर ले जाता है। भारत के इस मंच पर एक बहुत बड़ा कारनामा होने जा रहा है| एक ऐसा सच जिसे लगभग 500 साल पहले किसी ने भी खंडित कर दिया था, उस इतिहास को, उस सच को आज फिर से भारत पुनर्निर्माण कर रहा है| आइए, आप सब इसमें भागीदार बने|

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