भगवान राम असल में दिखाते कैसे थे , इसका आज हम विश्लेषण करेंगे |
भगवान राम का एक रूप है | आपने भगवान राम की जो तस्वीरें देखी हैं, वे या तो कैलेंडर पर देखी या अपने धार्मिक पुस्तकों में देखी है, और या फिर टीवी में देखा होगा (रामायण नाम का सीरियल टीवी पर आया करता था) | बहुत सारे लोग अरुण गोविल को ही भगवान राम समझने लगे थे क्योंकि अधिकतर लोगों ने रामायण सीरियल से ही भगवान राम के रूप को समझा व देखा है | हम भगवान राम के जितने भी फोटो या मूर्ति को देखते हैं, सब में भगवान राम बिना मूंछों के दिखाई देते हैं | अब इसके पीछे का क्या तथ्य है! क्या वे सभी मूर्तियां भगवान राम के युवावस्था की है? या पुराने समय में जितने मूर्तिकारों ने भगवान राम की मूर्ति को गढ़ा था, उन सब ने उनके युवा कल को ही याद किया था? हम सब के दिमाग में, हम सब के दिल में भगवान श्री राम की जो तस्वीर है, जो छवि है, वह हमारी कल्पना के आधार पर है, और कल्पना कैसे बनती है? कल्पना बनती है उन चित्रों से, उन छवियों से जो हम बचपन से देखते आ रहे हैं, चाहे वह कैलेंडर हो, चाहे वह टीवी हो, चाहे वह मंदिरों में रखी हुई मूर्तियां हो| हर चीज एक छवि बनाती है और हम इसी छवि में अपने भगवान को याद करते हैं |
लेकिन सवाल उठता है की क्या भगवान राम वैसे ही दिखते थे, जैसा हम उन्हें आज याद कर रहे हैं, जैसी मूर्तियां हमारे मंदिरों में है, जैसे फोटो हमारे घर के कैलेंडर में लगे हुए हैं, धार्मिक पुस्तकों में जैसे फोटो छपे हुए हैं, क्या असल में भगवान राम वैसे ही दिखते थे? अयोध्या राम मंदिर में भगवान राम लाल की मूर्ति स्थापित करने के लिए तीन मूर्तियों में से एक मूर्ति का चयन हुआ | उस मूर्ति के चयन के पीछे का रहस्य क्या था? जिस कमेटी ने उस मूर्ति को चुना उन्होंने उस मूर्ति में ऐसा क्या पाया है जो भगवान राम से मिलती-जुलती आकृति उन्हें उस मूर्ति में समझ में आई? कहा जाता है कि अयोध्या राम मंदिर के लिए मूर्ति बनाने वाले तीनों मूर्तिकारो ने प्राचीन ग्रंथो का भी अध्ययन किया था ताकि वे भगवान के शरीर के वर्णन को अच्छी तरह से समझ सकें और एक सही मूर्ति तैयार कर सकें, क्या इसमें सच्चाई है? हम आज इन गुढ रहस्यों का विश्लेषण करेंगे|
रामायण के अनुसार भगवान श्री राम का वर्ण यानी उनका रंग नील वर्ण था और नीलकमल के समान गहरा नीला था | यह भी कहा जाता है कि उनके तन का रंग नीले जलपूर्ण बादल की तरह सुंदर है। उनका रंग मेघ के समान प्रकाश लिए हुए है। उनकी आंखें कमल पत्र के समान ही खूबसूरत और बड़ी थी, जिसके लिए रामायण और शास्त्रों में पदमा पत्रक, कमल पत्रक और कमल लोचन जैसे शब्दों का उल्लेख किया गया है| रामचरित्र मानस के अनुसार, भगवान राम की आंखें खिले कमल की तरह थी। उनकी भवें लंबी और रमणीय थी| उनके नाक चेहरे के अनुरूप सुडौल और बड़ी थी| उनका मुख पूर्णिमा के चंद्र के समान था जिसके लिए शरद चंद्र शब्द का उपयोग होता है| महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में बताया है कि, भगवान श्री राम का चेहरा एकदम चंद्रमा की तरह चमकीला, सौम्य, कोमल और सुंदर था।उनके दांत मोतियों के समान थे जो चमचमाती रहते थे, जिन्हें रामायण में सुंदरम कहा गया है, सुंदर आनंद कहा गया है| भगवान श्री राम के होंठ उगते हुए सूर्य की तरह लाल थे और दोनों होंठ समान थे | इसके अलावा उनका गला शंकर के समान थे | कान बड़े थे, जिनमें कुंडल शोभा बढ़ाते थे| उनके हाथ लंबे थे जो घुटनों तक आते थे | यानी लंबी भुजाएं होने का जिक्र रामायण में श्री राम के हाथों के लिए हुआ है जिस कारण उन्हें आजानुभुज कहा गया है | और उनका पेट तीन रेखाओं से युक्त था, जिसे अति शुभ माना गया| श्री राम के पैरों की लंबाई शरीर के ऊपरी हिस्से के समानुपात में बताई गई और उनका सीना विशाल वक्ष स्थल के समान था| उनका शरीर एकदम समान था। ना ही ज्यादा बड़ा और ना ही ज्यादा छोटा। उनके केस भी बहुत घने, सुंदर और लंबे थे। रामायण में यह भी बताया गया है कि भगवान श्री राम के रंग रूप और शारीरिक संरचना को भाव के अनुरूप ही वर्णित किया जा सकता है| अब भगवान राम के स्वरूप को लेकर आपके मन में जो छवि बन रही है आप उसी छवि में राम का ध्यान कीजिए क्योंकि तुलसीदासजी ने लिखा है। जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। भगवान राम की छवि को इस एक दोहे में तुलसीदासजी ने व्यक्त कर दिया है और कह दिया है कि प्रभु की छवि तो मनुष्य के मन के अनुरूप है। जो जिस भावना से उन्हें देखता है उसी रूप में प्रभु उसे नजर आते हैं।
श्री राम के जो चित्र आज तक बनाए गए हैं वह चित्र रामायण और शास्त्रों में उपलब्ध जानकारी के आधार पर ही अंकित किए गए है | उदाहरण के लिए पिछले 700 वर्षों में भगवान राम के जितने भी चित्र बने उनमें वह बिना मूंछों के दिखाई देते हैं और ऐसा इसलिए भी है क्योंकि उनके यह सभी चित्र तब के हैं जब वह काफी युवा थे| यानी यह जो सारे चित्र आप देखते हैं यह उनकी युवा अवस्था के चित्र हैं | भगवान राम का एक चित्र वर्ष 1750 में भारत के मंडी कलाकारों द्वारा बनाया गया था और इसमें भगवान राम और उनके भाइयों के विवाह समारोह को दर्शाया गया था | एक और चित्र 16वीं शताब्दी में बनाया गया था, जिसमें भगवान राम वनवास पर जाने से पहले अपने पिता राजा दशरथ का आशीर्वाद लेते हैं और इस चित्र को कैलिफोर्निया के इंडियागो म्यूजियम आफ आर्ट में संरक्षित करके रखा गया है| इसके अलावा एक चित्र 19वीं शताब्दी में बनाया गया था, जिसे भारत के मशहूर चित्रकार राजा रवि वर्मा ने बनाया था| इसमें भगवान राम का रंग नीला दिखाई देता है | जबकि 1950 के दशक में कैलेंडर पर भगवान राम और सीता की जो तस्वीर सबसे ज्यादा प्रकाशित होती थी, उसी तस्वीर को भारत के करोड़ों लोगों ने भगवान राम के रूप में स्मरण किया है और वह तस्वीर उस वर्णन पर आधारित है जो रामायण में उनके बारे में मिलता है| 1987 की जब धर्मयुग नाम की एक पत्रिका के कवर पेज पर रामायण सीरियल में भगवान राम का रोल करने वाले मशहूर कलाकार अरुण गोविल की तस्वीर प्रकाशित हुई थी तो उन्हें लोगों ने भगवान राम को उस रूप में देखना शुरू किया जो और हमारे देश में बड़ी संख्या में लोग असल में अरुण गोविल को ही भगवान राम समझने लगे थे और अभी आपने देखा होगा कुछ दिन पहले अरुण गोविल एक एयरपोर्ट पर जा रहे थे और वहां उन्हें कुछ लोग मिले और लोगों ने उनके पैर छूने शुरू कर दिए थे, उन्हें भगवान राम समझकर| यह बताता है कि कितनी श्रद्धा है भारत के लोगों में भगवान श्रीराम के प्रति|
Achha likha hai ji